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Friday, September 7, 2018

किसान ,पेसटिसाइड ओर हमारा आहार

           किसान ,पेसटिसाइड ओर हमारा आहार
  हमारा देश एक कृषिप्रधान  देश है। हमारे देश के हर भाग में अलग-अलग तरह की खेती होती है।  आज हम 21  वी सदी मै जी रहै है। विज्ञान के नित नये नये आविष्कार से मनुष्य का जीवन आसान हुआ है।
       
            आज देश की आबादी जिस तरह से बढ रही है उस हिसाब से उतपादन भी बढाना पड रहा है। इसी चक्कर मे किसान अधिक कीटनाशकों का प्रयोग करने लगा है। बाजार  में हाइब्रिड बीज आ गये है।जिससे पैदावार तो बढी है लेकिन गुणवत्ता की कमी आई है।ओर खाने का सवाद  फिका पड गयाहै।

 अधिक कीटनाशकों के प्रयोग ने धरती को बाँझ बना दिया है।अब बिना दवाई के कुछ पैदा ही नही होता।फलो ,सब्जियों के जेनेटिक के साथ प्रयोग करके नई किस्म बनाइ जाती है ओर उसका प्रयोग आम आदमी पर किया जाता है ।


           आज से तीस साल पहले कैसर ,हार्टडिज़ीज़ जैसी कोई बीमारी सुनने मे नही आती थी। आज एक सर्वे के अनुसार अकेले हरियाणा मे हर दसवाँ इंसान कैंसर से मर रहा है।पंजाब मे हाल इससे भी बुरा है। ध्यान देने वाली बात है कि ये दोनों राज्य हमारे मुख्य अनाज उत्पादक राज्य है।

       आज ये जहर हम किसी न किसी रूप मे खा रहे है।अब हालात ये है कि कोई भी चीज बाजार से ले तो हम कहते है कि भाई बेसक महंगी दो पर पेसटिसाइड का प्रयोग ना हो।
                  अब तो दूध दही घी फल सब कुछ पेसटिसाइड जहर है।
अब समय आ गया है कि सरकार को इस जहर पर रोक लगा देनी चाहिए। ताकि जनता अच्छा खाना खा सके व हम सब भी कोशिश करे कि फसलों मे कम से कम पेसटिसाइड का प्रयोग करे। ओर अपनी धरती को हरा भरा बनाए ताकि हमारी आने वाली नस्ले साफ हवा मे सांस ले सके।
   


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